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बारिश का मौसम

यह कविता सोलापुर के भाषा मे लिखी गयी है।
मै और मेरी तन्हाई अक्सर बारिश मे भिगा करते है
बरसते हुये बारिशों मे कुछ यूँ हम उनको याद किया करते है

तू ऱ्हती ती तो मै अयसा भिग्या ऱ्हता, तु ऱ्हती ती तो मै वैसा भिग्या ऱ्हता,
बोलने नई आता मजे मै कैसा भिग्या ऱ्हता

तेरा हात मै अपने हात मे लेकु
रस्ते पो चल्या ऱ्हता,
तु हशी ऱ्हती बीच मेच मै तुजे
देक्या ऱ्हता ,

घर को जातू मै , तु कती ती तो
मै तुजे रुकाया ऱ्हता
चल गे जरा ओवेस मे जाकू
दाल वडे खईंगे बोल्या ऱ्हता
तु शरमई ऱ्हती हिरोनी जैसा
मै तुजे हिरो के तिंऊ देक्या ऱ्हता

जोर का बारीश आते ट्याइम
तुजे गाडी पर लिजाया ऱ्हता
आईना मे बिरयानी खईंगे कयी तो
मै तुजे ताजोद्दीन मे कबाबा भी खलाया ऱ्हता
अप्सरा मे चाय पिंगे कती ती तो
संगमेश्वर नजीक बुश्ट भी पिलाया ऱ्हता

बेस पो सब घुमाया ऱ्हता
तु मंगे सो वो मै दिलाया ऱ्हता
नोकरी च नई करको पैशे नई जेब मे ; दोस्तां पास शी उदारी लेको सब लेको दिया ऱ्हता
जुही चावला जैसा भिगी तु बारीश मे तो
मै शारुक जैसा गाया ऱ्हता

कंबर तलव कु जईंगे बोली तु तो
व्हा भी लेकु गया ऱ्हता
व्हा के बोटा मे बिटाकु कंबर तलव फिराया ऱ्हता
दिल दिवाना बिन सजना के लगाकु फोन मे खिशे मे ऱ्हक्या ऱ्हता ,
तु भाग्यश्री जैसा बैटी ऱ्हती
मै खुद को सलमान समज कु तुजे देक्या ऱ्हता

सय्यद बुखारी बाजू मेच जाकु तु धागा भंदी ऱ्हती,
व्हाशी शाह जहूर को आकु
कॉर्नर मे वडा पव समोशे खये ऱ्हते
सिध्देश्वर तलव के गार्डन मे शी
तुजे मयी उडते सो करंजे दिकाया ऱ्हता

गड्डे के मैदान मे बाकडे पर बैटते ते
शादी हुये बाद डि-मार्ट मे सामान भरे ऱ्हते
तु कैसा बोलींगी वैसाच मयी करतु कता ता
तु ऱ्हती ती तो मयी बारिश मे आदित्य कपुर बनको भिग्या ऱ्हता
श्रद्धा कपूर को जैकेट मे लिये जैसा मेरे कने जैकेट नयी वैसा
बरोबर तेरे अब्बा कतंई देक
छोरे को कमांदे जरा पैसा
मा - बाप जो बोलतंई सुनना देक वैसा

इंजीनिअर बन्या मयी अब क्या शिक को करना
आयटी कंपन्या सब बंम्बई पुने को जारंई
हमे ह्या बैटको आधार केंद्रच चलारंई
मयी पुने कु गया छोडकु तुजे तो
तेरी शादी किश्शी तो करतंई
फिर देक एक दुसरे को याद करकु अपन दोनो बी रोतंई

तु शिकी ऱ्हती तो दोनो मिल को कमातंई
मंयीच पड्या तेरे पीच्चे
इसमे तेरे दो विषय कच्चे ऱ्ह कोच जारंई


शेवट चा-सरबत का गाडा नयी तो रिक्शा लींगे सोचा
बीच मे तेरी फुप्पु आको कैसा लगई देक पोचा
बोलको मयी करतू मेरी भतीजी
लेकू गयी मेरी खतिजा
उसका बेटा मजे कतय मार खातय देक जा

तुजे लेको क्यत्ते अरमाना शी मयी बारिश मे भिग्याता
इनेच मेरी मौसमी समजको
खुद को मयी अमिताब समजाता
हो को गई दूसरे कने तेरी शादी
हचेसो पैश्यांकी कऱ्या मयी बरबादी
पैशे गये सो दुक नई मंजे
दुल्हन बन को बी मेरे वास्ते तु नयी सजे
व्हे सो हय अब मेरी बी शादी
मेरा क्या बैटको खातु जोरूच मेरी कमाती

क्यत्ते अरमाना वो बारिश मे भय को जारंई
मयी सुन्या सास घर मे तुजे कोन की सतारंई
इसके वजह से तुमे अब यहाच आको ऱ्हरंई
गल्ली छोड़को मयी अब सहारा मे जारूं
बारिश आये बाद अब एकलाच भिगरुं .

- अहाना
( ये कविता मेरे नाम के साथ ही शेअर की जाये । )