आज भी शेरा कुछ निराश-सा हेडक्वार्टर पहुँचा...
युगंधर जहागीरदार की इंटेलिजेंस टीम का वह सबसे तेज़, ठंडे दिल वाला और चाणक्य-सा चालाक प्रमुख था। अब तक शेर को जो भी काम सौंपा गया, वह नाकाम कभी नहीं हुआ।
संपत्ति और सफलता के साथ ही युगंधर के दुश्मन भी बने थे—कुछ छुपे हुए, तो कुछ बिल्कुल सामने। नेशनल ही नहीं, इंटरनेशनल स्तर पर भी उसके प्रतिद्वंद्वी तैयार हो चुके थे। ढेरों कंपनियों को एक साथ संभालना, और हर जगह अपना दबदबा बनाए रखना आसान काम न था। इस साम्राज्य को सुरक्षित रखना उतना ही ज़रूरी था, और युगंधर को इसकी पूरी समझ थी।
इसीलिए उसने अपनी ख़ास इंटेलिजेंस टीम बनाई थी। इस टीम का हर सदस्य उसने स्वयं परखा था। हर एक व्यक्ति काम के मामले में हीरे की तरह निखरा हुआ। सैकड़ों वफ़ादार और बेहद बुद्धिमान लोग इस विभाग में थे। कोई भी काम सामने आते ही युगंधर को पूरा विश्वास होता कि वह शर्तिया पूरा होगा।
एक बार चीन की एक कंपनी ने जहागीरदार ग्रुप पर साइबर अटैक किया था। कुछ ही घंटों में शेरा की टीम ने उस कंपनी की पूरी जानकारी निकालकर उनकी सिस्टम को ध्वस्त कर दिया। उसके बाद उस कंपनी का क्या हुआ, किसी को कोई पता न चला। जैसे वह कंपनी कभी अस्तित्व में ही नहीं थी—ना आगे उसका कोई नामोनिशान मिला, ना वहाँ काम करने वाले लोगों का।
काम के मामले में युगंधर जैसा ही उसकी टीम भी... उतनी ही निर्दयी, उतनी ही कठोर। जो टकराया, उसे चूर-चूर कर डाला—मानो मटन करी में हड्डी की नली तोड़ दी हो!
लेकिन ऐसी परफ़ेक्ट टीम को पिछले एक साल से लगातार असफलता का सामना करना पड़ रहा था। विधिवेश, डैनियल और अधिराज जैसे वरिष्ठ अफ़सर इस नाकामी से परेशान थे।
आज भी जब शेरा खोजबीन की रिपोर्ट लेकर हेडक्वार्टर आया, तब विधिवेश ने हिम्मत जुटाकर कह ही डाला—
“सर, स्वर्ग का दरवाज़ा भी हो तो ढूँढ निकालेंगे, लेकिन कम-से-कम इतना तो पता होना चाहिए कि दिखता कैसा है? जिस शख़्स का नाम तक अज्ञात, कोई ठोस जानकारी नहीं, बस एक धुँधला-सा स्केच... वह भी आधा चेहरा बालों से ढँका हुआ। यह भी नहीं मालूम कि वह किससे जुड़ा है... सर, आखिर ऐसे आदमी को ढूँढें कैसे? प्लीज़, क्या आप बिग बॉस से फिर एक बार और डिटेल में जानकारी नहीं माँग सकते?”
“सर, स्वर्ग का दरवाज़ा भी हो तो ढूँढ निकालेंगे, लेकिन कम-से-कम इतना तो पता होना चाहिए कि दिखता कैसा है? जिस शख़्स का नाम तक अज्ञात, कोई ठोस जानकारी नहीं, बस एक धुँधला-सा स्केच... वह भी आधा चेहरा बालों से ढँका हुआ। यह भी नहीं मालूम कि वह किससे जुड़ा है... सर, आखिर ऐसे आदमी को ढूँढें कैसे? प्लीज़, क्या आप बिग बॉस से फिर एक बार और डिटेल में जानकारी नहीं माँग सकते?”
यह सुनते ही सबके चेहरे उतर गए। और अनायास ही सभी को वह दिन याद आ गया—जिस दिन युगंधर ने उन्हें इस तलाश में झोंक दिया था। हर कोई मन-ही-मन उस दिन को कोस रहा था... मानो उनकी ज़िंदगी का सबसे मनहूस दिन वही था।
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भूतकाल—एक साल पहले...
उस दिन जहागीरदार ग्रुप की इंटेलिजेंस टीम पूरी तरह निश्चिंत थी। अभी-अभी उन्होंने साल की सबसे बड़ी इंटरनेशनल डील क्रैक की थी। इस डील की सारी पेचीदगियाँ अधिराज ने जाँचकर युगंधर तक पहुँचाई थीं। नतीजा—पूरी टीम को भारी बोनस घोषित हुआ।
बिग बॉस नैनीताल से निकल चुके थे। मौसम ख़राब होने के कारण नैनीताल से दिल्ली तक बाय रोड और फिर दिल्ली से मुंबई तक हेलिकॉप्टर की पूरी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। बार-बार सब कुछ जाँच लिया गया। जब सब सुरक्षित लगा, तभी जाकर टीम ने चैन की साँस ली।
जैसे ही सबके खातों में बोनस आने का नोटिफिकेशन बजा, हेडक्वार्टर जैसे दीवाली मना रहा था। हर कोई मन ही मन ख़र्चे का खाका तैयार करने लगा। लेकिन शायद किस्मत को उनका यह सुकून मंज़ूर न था।
शाम ढली, अँधेरा घिरा, और बहुत-से लोग अपनी-अपनी नाइटलाइफ़ एंजॉय करने निकल पड़े। कई दिनों के तनाव के बाद यह रात वे खुलकर जीना चाहते थे। कोई अपनी प्रेमिका को बाँहों में भरने का सपना देख रहा था, कोई पब जाकर ऐश और ऐश्वर्या के बीच का फ़र्क़ तलाशने में व्यस्त था, तो कोई बस तन्हाई का मज़ा लेना चाहता था।
रात बढ़ती गई और उनकी मौज-मस्ती चरम पर पहुँची। लेकिन अचानक सबके मोबाइल पर एक सुरक्षा पॉप-अप फ्लैश हुआ। ऐसा पॉप-अप केवल आपातकालीन स्थिति में आता था।
बस, उसी पल सबकी नशा उतर गई। प्रेमिकाओं की बाँहें ढीली पड़ गईं, अधूरे नींद वाले चेहरों ने चौंककर मोबाइल देखा—“आख़िर हुआ क्या?”—और सब हेडक्वार्टर की ओर भागे। कुछ ही मिनटों में सब वहाँ इकट्ठा थे।
डैनियल ने घड़ी देखी—रात के डेढ़ बजे थे। सबकी हालत देखने लायक थी—बिखरे बाल, अस्त-व्यस्त कपड़े, लाल आँखें।
विधिवेश को देखते ही डैनियल और अधिराज के चेहरों पर गुस्सा और जलन उमड़ आई। उसके गाल और गर्दन पर लिपस्टिक की क़लाकारी चमक रही थी।
“साला, एक गर्लफ्रेंड के लिए हमेशा रोता है और आज देखो, पूरा चेहरा कैनवास बना आया है हरामख़ोर!” दोनों की मुट्ठियाँ आप ही आप भींच गईं।
विधिवेश ने जब अपनी परछाई काँच में देखी, तब कारण समझ आया। पास खड़े अपने जूनियर के शर्ट का कोना खींचकर उसने चेहरा पोंछा और कसैली हँसी हँसते हुए दोनों को बत्तीसी दिखा दी। घबराहट में कपड़े ही जैसे-तैसे पहनकर आया था, रूमाल की याद कहाँ से आती!
वह जूनियर भी हैरान था—इतने सख़्त स्वभाव वाले अपने सीनियर का रंगबिरंगा चेहरा देखकर उसे भी अपनी प्रेमिका की याद आ गई।
कुछ ही मिनट बीते थे कि उस ठंडे संगमरमर फ़र्श पर और भी ठंडी, भारी बूटों की आवाज़ गूँजी—
टक...
टक...
टक...
टक...
टक...
टक...
टक...
हर किसी का दिल ज़ोर से धड़क उठा....
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