क्षितिजा - कैसे बताऊ? कोई नहीं हैं मेरा उसके सिवा ये दुनिया में और बस डर ये ही था कि दिल की बात बताके कहीं उसको भी खो ना दू।
पन्ना - बेटा वैसे भी अब वो कहा तेरे पास हैं। हम सब तुझे अच्छे से जानते हैं। तूने कभी कुछ ग़लत काम नहीं किया और ये सब कैसे करेगी तू। अब कहा ढूंढेगी उसे और क्या वो तेरे से बात करेगी? खैर छोड़ ये सब तू और दो दिन है ना यहां पे मैं कुछ कर पाती हूं क्या देखती हूं। वो छोकरे का फोटो बता जरा..
क्षितिजा हर्षद आणि देवयानी चा फोटो त्यांना दाखवते. फोटो त्या बाकीच्या सगळ्यांना दाखवून काही माहिती मिळते का ते बघायला सांगतात.
क्षितिजा तिचं काम संपवून निघण्याच्या तयारीत असते. तेवढ्यात तिला पन्ना चा फोन येतो. त्या तिला त्यांच्या संस्थेमध्ये बोलवून घेतात.
क्षितिजा काहीच वेळात संस्थेमध्ये पोहचते. पन्ना काही कामासाठी बाहेर गेलेल्या असतात म्हणून क्षितिजाला त्यांच्या केबिनमध्ये बसायला सांगतात. तिच्यासाठी चहा पाण्याची सोय केलेली असते. तिथे येणाऱ्या प्रत्येक पाहुण्याच खूप छान आदरातिथ्य केलं जातं. क्षितिजाला संस्थेमधील प्रत्येक व्यक्ती ओळखत असते. त्यामुळे क्षितिजाला तिथे खूप घरच्या सारखं वाटतं. येणारी जाणारी प्रत्येक व्यक्ती थांबून क्षितिजा सोबत दोन मिनिट का होईना गप्पा मारत असते. एक तासाभराने क्षतिजा एकटीच असते ती शांत डोळे मिटून आपल्या विचारात गुंतलेली असते. तेवढ्यात पन्ना येतात. तिला असे बघून ह्या हलकेच तिच्या खांद्याला हात लावून उठवतात.
पन्ना - माफ कर बेटी. ज्यादा देर कर दी मैंने आने में। वैसे तुम किस सोच में डूबी थी। ऐसे दिल में बातें मत रखो मुझे बताओ क्या बात हैं।
क्षितिजा - क्या मुझे पहले चाय मिल सकती हैं?
पन्ना - हा जरूर बेटा।
( पन्ना एका व्यक्तीला आतमध्ये बोलवून पाणी आणि दोन कप कडक चहा आणायला सांगते )
पन्ना - क्या बात है बेटा। बहोत शांत हो तुम आज। कोई बात हैं क्या दिल में? वैसे मैंने तुम्हे ये बताने बुलाया की वो लड़का सही नही हैं.. उसने बहुत सी लड़कियों को पहले अपने जाल में फसाया हैं। बस अब के लिए इतना ही पता चला हैं.. वो अपनी शबनम हैं ना उसे भी ऐसे ही फसाया था। लेकिन बच गई बिचारी.. उसने ही बताया ये हमे। और एक बात लड़कियों को मार कर उनकी बॉडी पार्ट्स को बेचने की तस्करी करने वाले भी ऐसा ही करते है पहला लड़कियों को फसाते है अपने जाल में फिर उन्हें बेच देते है या मारके बॉडी पार्ट्स बेचते हैं।
पन्ना च हे बोलणं ऐकून क्षितिजाच्या डोळ्यात पाणी यायला लागत. तिच्या काळजाचे तुकडे तुकडे होत असतात. आपल्या देवयानी सोबत ह्यातल काही झालं तर आपण जगायचं विचार ही करू शकत नाही.
पन्ना क्षितिजाच्या डोळ्यातलं पाणी बघून विचारतात.
क्या हुआ? रो मत बेटा वो बची ठीक होगी।
क्या हुआ? रो मत बेटा वो बची ठीक होगी।
क्षितिजा - तुमच्या पासून काय लपवू मी. तुम्हाला तर सगळे माहित आहे. आपल्या भावनांना ह्या समाजात काही मान नाहीय. कोणी आपल्या भावना समजू ही शकत नाही. मला मुलांसारख्या भावना आहेत त्या मी नेहमी लपवून ठेवत राहिले. पण जेव्हा देवयानीला भेटले तिच्या सोबत वेळ घालवू लागले आणि माझ्याही नकळत मी तिच्या प्रेमात पडले. तिच्या आणि माझ्या नात्यात प्रेम मैत्री सगळे होते. मी खूप प्रेम करायला लागले होते तिच्यावर. पण कधीच बोलू शकले नाही आणि बोलणार तरी कसे तिला ह्या गोष्टी कुठे माहित असणार... आमच्यातल्या सुंदर मैत्रीला तडा जाईल ह्या विचाराने मी कधीच तिच्या समोर माझ्या भावना व्यक्त केल्या नाहीत. तिचा सहवास, तिचा आनंद एवढच काय ती हर्षद सोबत आनंदात आहे. ह्या एकाच विचाराने तर मी आज पर्यंत जगत होते. पण जर माझ्या देवू च्या बाबतीत असे काही घडलं तर मी सहन नाही करू शकणार. तिचं असणं माझ्यासाठी खूप गरजेचं आहे. ती कुठेही असुदे मला ती जिवंत हवी आहे. तिथून मी तिला सोडवून आणेन. पण तुम्ही तिचा तपास करा. माझे खूप जीवापाड प्रेम आहे तिच्यावर. मी तिच्याबद्दल कधीच वाईट विचार केला नाही.माझ्या मनात सुद्धा तिच्या बद्दल वाईट कधी काही आले नाही. मला माझी देवू हवी आहे. मला माझे प्रेम माझ्या डोळ्यासमोर हवंय. मला दुसरी काही अपेक्षा नाहीय. तिने माझेच असावं अशी जिद्द पण नाहीय. परंतु मला ती जिवंत हवीय प्लीज...
एवढं बोलता बोलता क्षितिजा ढसाढसा रडायला लागते. पन्ना तिला जवळ घेऊन शांत करू लागतात.
बेटा रो मत। मुझे पता है तू उससे कितना प्यार करती है। मैं तेरी आंखों में उसके लिए प्यार देखी हुं। उसे कुछ भी नही होगा तेरा प्यार उसके साथ हैं ना। और एक बात बेटा जिससे प्यार करते हो। उसके सामने अपने प्यार का इजहार करना सीखो। आप बताओगे नहीं तो उसे कैसे समझेगा की आप उससे प्यार करते हो। बेटा प्यार सही या गलत नहीं होता। प्यार प्यार होता हैं और अब सामने वाले के सोच पर निर्भर करता हैं की आपके प्यार के बारे में वो क्या सोचता है। उसकी सोच अच्छी होगी तो आपकी भावनाओं का वो सम्मान करेगा। प्यार रूह से होता हैं बेटा.. जिस्म से प्यार करनेवाले तो रात के अंधेरों में बाहर निकलते है और जिस्म चूस कर चले जाते है। तुम क्यों अपनी भावनाओं को छिपाती हो। जैसे भी हो तुम तुम्हारा प्यार तो सच्चा है। दिल तो साफ हैं। अब ये रोना बंद करो। ये लड़की रेहकर लड़कों जैसे भावनाएं और लड़का रेहकर लड़कियों जैसी भावनाएं ये क्या जुर्म नहीं है जिसका जुर्माना तुम खुद कर पूरी जिंदगी तबाह कर कर भरो। ये भी उसी भगवान का दिया हुआ है जिसने सबको बनाया हैं। अब हमे ही देखो हम ये इतनी बड़ी संस्था में ये इतने अच्छे अच्छे काम करते हैं। पर दुनिया की कान में सिर्फ हमारी तालियों की आवाज गूंजती हैं। हमारा ये काम नजर नहीं आता। आपने जैसे ही कुछ हमारी भी कहानी हैं बेटा लेकिन फिल्हाल आप दिमाग से ये सब बातें निकाल दो। हम आपके लिए कुछ खाने के लिए मंगाते हैं। आज साथ में खाना खायेंगे हमे भी बड़े जोरों से भूख लगी हैं।
जेवता जेवता ही दोघींमध्ये खूप गप्पा रंगलेल्या असतात.
क्षितिजा - तुम्ही एवढ्या छान दिसता आणि एवढ्या शिकलेल्या आहात. तुम्हाला कधी कोणावर प्रेम नाही झालं किंवा कोणी तुमच्या प्रेमात नाही पडलं का?
पन्ना - ये सब बातें और पुरानी यादें बहुत तकलीफ देती हैं। पर आज तुम पूछ रही हो तो बताती हूं। मैं जब दसवीं कक्षा में थी तब हमारे कक्षा का एक लड़का था जो मुझे हर वक्त दूर से ही अपनी नजरों में कैद कर लेता था। हम दोनों में हर वक्त आंखों से ही बात होती थी। उसका नाम कृष्णा था। कृष्णा नाम के जैसा ही था सावला था लेकिन दिखने में बहुत आकर्षित था। उसका पेहराव, रेहना, चलना और बात करने का तरीका हर बात में वो एकदम उत्तम था। फिर बोर्ड के आखरी पेपर के बाद उसने मुझे मिलने के लिए पूछा। हम चाय पीने मिले फिर हम दोनों में दोस्ती हो गईं। वो मेरी बहोत ज्यादा देखभाल करता था। मुझे मेरा कृष्णा मिल गया था। उसकी बातों ने उसके प्यार ने मुझे उसका कर दिया था। उसने मेरी भावनाओं को समझा था। मुझे जैसे चाहिए वैसे रहने देता था मैं उसके साथ भूल जाती की मेरा जिस्म एक लड़के का हैं। मैं लड़कियों जैसा ही पेश आती। हमारे बीच डेढ़ सारी बातें होती। हम एक दूसरे के साथ बहुत घूमते। ऐसे ही दोन तीन महीने निकल गए। एक बार उसने मुझसे कहा की मेरे दोस्त की तबीयत खराब हैं तो हम उसे देखने जाते हैं। मैंने भी उसके साथ में जाने के लिए तैयार हो गई। हम दोनों उसके दोस्त के पास पहुंचे तो वहा उसके और तीन दोस्त मौजूद दे उन्होंने हमे चाय के लिए पूछा। कृष्णा ने बिना मुझे पूछे हा बोल दिया। उसे पता था मुझे चाय बहुत पसंद हैं। चाय आने तक उसने उसके दोस्तों से मुझे मिलवाया.. दोस्तों की तबियत के बारें में पूछताछ की उनके घरवालों के बारे में पूछा। इतने में उनका एक दोस्त चाय लेकर आया और चाय पीने के बाद कुछ ही देर में मुझे चक्कर सा होने लगा। कुछ ही देर में मैं मेरे होश खो बैठी। उसके बाद जब मुझे होश आए तब उसके दोस्त और कृष्णा मुझे वो कमरे में बिना कपड़ों के सोए दिखे और कुछ दारू की बोतलें थी। मेरे साथ जो हुआ था उसके बाद ना मैं खुद के जिस्म को देख पा रही थी ना कुछ बोल पा रही थी। मेरे अंग पर एक कपड़ा नहीं था मेरे सीने से, मेरी होंठों से और मेरे प्राइवेट पार्ट से खून आ रहा था। मेरा पूरा जिस्म खून से भर गया था। मुझे बहुत दर्द हो रहा था। मैं उठ कर बैठु इतनी भी ताकद नहीं थी मुझमें सिर्फ मेरे आखों में जीव बचा था वो बह रही थी। बाकी मेरा पूरा शरीर प्राणहीन हो चुका था। मुझ पर बलात्कार हुआ था जाके बताती भी किसको घरवाले समझ नही पाते..और जो इतने दिन से समझ रहा था वो तो निक्कमा निकला। मैंने बहुत ज्यादा प्यार किया था कृष्णा से उसे पूरी तरहा अपनाया था। मुझे कृष्णा से ये उम्मीद नहीं थी। मुझे प्यार से ये दुनिया से भरोसा टूट गया था। भले ही मेरा जिस्म लड़के का था लेकिन रूह लड़की की थी मैं वो बातें भुला नहीं पा रहीं थी। उस दिन एक लड़के के जिस्म में सच्ची रूह वाली लड़की पर रेप हुआ था। ये सब बातों की वजह से मैं वहा से भाग गई। और तीन - चार महीनों के लिय अपने बुआ के घर चली गईं। मुझे फिर से घर जाने का मन नहीं था। मुझे फिर से उनका सामना नहीं करना था। लेकिन मुझे कॉलेज की एडमिशन के लिए जाना पड़ा। मैं जैसे ही स्टेशन पहुंची वैसे वहा मुझे कृष्णा का एक दोस्त दिखा उसने मुझे देख के मेरे से बात करने आ रहा था। मैं वहा से भाग निकली और एक जगह जाके छुप गईं। लेकिन पता नही कैसे उसने मुझे ढूंढ लिया। वो मुझे ढूंढते ढूंढते बहुत थक गया था। मेरी भी हालत उसके जैसी ही थी। उसने मुझे कहा की एक जगह बैठ जाए क्या कुछ बात करनी है। लेकिन मैने उसकी एक नही सुनी मैंने कहा हो बात करनी है यही पे करो। उसने कहा की तुम कहा थे हमने तुम्हे ढूंढने की बहुत कोशिश की पर तुम्हे मिले ही नहीं। कृष्णा अब इस दुनियां में नही रहा। उसकी ये बात सुनके दो मिनट के लिए मेरे पैरों तले जमीन हिल गई फिर वो दिन मुझे याद आया जिस दिन मेरे जिस्म के टुकड़े किए थे इन्होंने... और मेरी आंखें गुस्से से लाल हो गई। उसके दोस्त ने आगे कहा की उसकी आखरी ख्वाईश थी की उसको तुम्हे मिलना है। तुमसे माफी मांगनी हैं। ये बात सुनके मुझे काबू नही रहा खुद पर।
मैंने कहा क्यों उसको मेरी भावनाओं से खेल कर। मेरी जिस्म को बांटकर और मेरे जिस्म के टुकड़े कर सुकून नहीं मिला था क्या? कलंक था वो कृष्णा नाम पर भगवान जो करता है सही करता है उसके जैसा ही तुम लोगों के साथ होना चाहिए तुम लोग भी एक दिन ऐसे ही कुत्ते की मौत मरोगे।
मेरी बात से उसके दोस्त के आंखों से आंसू आने लगे और उसने कहा की कृष्णा सच में कृष्णा था वो उसके नाम पर कलंक नहीं था। वो दोस्ती में भी कृष्णा था और प्यार भी उसने कृष्णा जैसे ही किया था। वो दोस्त के खातिर आया था उसे हमारे प्लान के बारे में कुछ पता नही था। उसकी भी चाय में बेहोशी की दवा ही। लेकिन अगर तुम उठ गए तो तुम्हे सब पता ना चले इसलिए हमने ही उसके कपड़े उतारकर रखे थे। उस दिन के बाद उसने तुम्हे बहुत ढूंढा, बहुत प्यार करता था वो तुमसे। तुम नहीं मिले तो वो बीमार पड़ा। उसे देखने हम गए तो उसने बताया की वो तुमसे प्यार करता था और उस दिन के बाद से तुम मिले नही ना ही तुमसे बात हुई तो वो तुम्हारी याद में ऐसा हो गया था। वो खाना पीना भूल गया था। उसी दिन हमने उसे सब हकीकत बताई। हमने तुम्हारे साथ क्या किया, तुम दोनों को उधर कैसे प्लान करके बुलाया और कैसे चाय में बेहोशी की दवा डाली सब बताया। उसी दिन वो बहुत रोया और कहा की तुम नहीं समझे उसे तुमने लड़के पर नहीं एक लड़की पर रेप किया हैं। मैंने उसे मेरी जीवनसाथी माना था। बहुत प्यार करता हु मै उससे। तुम लोग यहां से निकल जाओ।
हम उस वक्त उसका मजाक उड़ाकर वहा से निकल तो आ गए। लेकिन बादमे पता चला की कृष्णा ने आत्महत्या कर ली। और हा उसने घरवालों के लिए एक चिट्ठी रखी थी और एक तुम्हारे लिए ये लो तुम्हारी चिट्ठी हम लोगों ने अब तक ये पढ़ी नही हैं इसे पर सिर्फ तुम्हारा हक़ है। उसे दिन के बाद हम तुम्हारे गुंहेगार है। जो शिक्षा तुम दोगे हमे वो कबूल हैं।
कृष्णा का दोस्त मेरे हाथों में चिट्ठी देकर रोते चला जाता है।
To Be Continued....
(मी नेहमीच माफी मागून पुन्हा असच होतंय. पुढच्या पार्ट साठी उशीर होतोय. तरी सुद्धा माफ करा. लिखाणात काही चुका असतील किंवा नकळत कोणाचे मन दुखावले गेले असेल तर माफ करा. आपल्या समाजात अश्या भावनांच्या ज्या व्यक्ती आहेत त्यांचा आदर करा. कोणाला काही बोलायचे असेल जर हा पार्ट वाचून तर तुम्ही बोलू शकता. माझा कोणालाही दुखावण्याचा हेतू नाहीय. )
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