उलझी है ज़िंदगी, कभी खामोश, कभी तूफान सी,
सपने बिखरे हैं, जैसे मन में कोई खोया पंछी।
हर रास्ता नया है, पर मंज़िल कहीं दिखती नहीं,
चलते जाते हैं यूँ ही, पर आख़िर का पता मिलता नहीं।
सपने बिखरे हैं, जैसे मन में कोई खोया पंछी।
हर रास्ता नया है, पर मंज़िल कहीं दिखती नहीं,
चलते जाते हैं यूँ ही, पर आख़िर का पता मिलता नहीं।
दिल का इंसान कभी खुद से दूर हो जाता है,
दुःख की परछाई में, फिर खुद को ही संभालता है।
गुंझल सुलझाने की कोशिश में, उलझन और बढ़ जाती है,
इस जीवन की पहेली में, हम कहीं खो जाते हैं।
दुःख की परछाई में, फिर खुद को ही संभालता है।
गुंझल सुलझाने की कोशिश में, उलझन और बढ़ जाती है,
इस जीवन की पहेली में, हम कहीं खो जाते हैं।
फिर भी हँसते रहना है, यही तो असली जादू है,
चाहे जितना उलझे, खुश रहना ही तो जीवन का सबक है।
कब मिलेगी राह, कौन जाने कब सही,
इस उलझी ज़िंदगी को ही अपना समझ लेना, यही सही!
चाहे जितना उलझे, खुश रहना ही तो जीवन का सबक है।
कब मिलेगी राह, कौन जाने कब सही,
इस उलझी ज़िंदगी को ही अपना समझ लेना, यही सही!
सर्व अधिकार लेखिकेकडे सुरक्षित आहेत कोणाला शेअर करायची असल्यास नावासहित शेअर करावी ही विनंती
-जान्हवी साळवे.
-जान्हवी साळवे.
Download the app
आता वाचा ईराच्या कथा सोप्या पद्धतीने, आजच ईरा app इंस्टॉल करा