भाग-07
दो घंटे बाद
चालीस वर्षीय डॉक्टर कपूर अपने केबिन में विराजमान थे और शांति के स्वास्थ्य का अवलोकन कर रहे थे।
“अब कैसा फील हो रहा है शांति जी” डॉक्टर कपूर ने शांति से पूछा।
शांति ने जवाब दिया,“अभी तो थोड़ा ठीक लग रहा है सर! लेकिन मुझे हुआ क्या था”
चालीस वर्षीय डॉक्टर कपूर अपने केबिन में विराजमान थे और शांति के स्वास्थ्य का अवलोकन कर रहे थे।
“अब कैसा फील हो रहा है शांति जी” डॉक्टर कपूर ने शांति से पूछा।
शांति ने जवाब दिया,“अभी तो थोड़ा ठीक लग रहा है सर! लेकिन मुझे हुआ क्या था”
“शांति जी घबराने की कोई बात नहीं लेकिन”
“लेकिन क्या सर”
“बंटी जी आपने मिस्टर मित्तल को शांति जी का हाल-चाल बता दिया न” डॉक्टर ने बंटी से कहा।
बंटी बोला,“जी डॉक्टर साहब।अभी जस्ट उनसे बात हुई है मैंने बता दिया है कि सब ठीक है”
“लेकिन क्या सर”
“बंटी जी आपने मिस्टर मित्तल को शांति जी का हाल-चाल बता दिया न” डॉक्टर ने बंटी से कहा।
बंटी बोला,“जी डॉक्टर साहब।अभी जस्ट उनसे बात हुई है मैंने बता दिया है कि सब ठीक है”
डॉक्टर कपूर बोले,“शांति जी अभी तो सब कुछ ठीक है लेकिन ये हाइपोथर्मिया के लक्षण है”
“क्या! सर लेकिन ये कैसे”
“हाइपोथर्मिया यानी भीगने से शरीर का तापमान काफी कम हो जाना। बारिश के ठंडे-ठंडे पानी में ज्यादा समय तक भीगने के कारण या देर तक गीले कपड़ों में रहने की वजह से शरीर का तापमान कम होने लगता है, जो एक जानलेवा स्तर पर भी पहुंच सकता है”
डॉक्टर कपूर की बातें सुनकर शांति को अपनी भूल का एहसास हुआ। पूरी रात बारिश में भीगना कोई साधारण बात तो नहीं और इसका परिणाम इतना भयावह भी हो सकता है उसने तो कभी सोचा ही नहीं था। आयुष के प्रेजेंटेशन में उसे साथ होना था किंतु इस तरह वो क्लीनिक के चक्कर काट रही है। आयुष और निखिल कैसे संभाल पाएंगे, उनके बॉस का स्वागत रखे सूखे ढंग से किया गया होगा।
उसने निश्चय किया कि अब वह इस तरह की लापरवाही कभी नहीं करेगी। डॉक्टर की अनुमति के बाद वे घर लौट गए।
………………..
उसने निश्चय किया कि अब वह इस तरह की लापरवाही कभी नहीं करेगी। डॉक्टर की अनुमति के बाद वे घर लौट गए।
………………..
रात के नौ बज रहे थे। शांति ने बंटी के साथ घर में प्रवेश किया।
“आराम से आओ शांति,अब कैसी है तबियत” आयुष ने उसे सहारा देते हुए सोफे पर बैठाया।
“हम्मम ठीक है अब” शांति धीरे से सोफे पर बैठी।
बंटी ने आयुष को सारा हाल सुनाया कि कैसे उनकी गाड़ी पंक्चर होने पर समीर ने उनका सहयोग किया। दवाईयों के बारे में जानकारी देने के पश्चात बह अपने घर चला गया।
“आप अकेले!निखिल कहाँ हैं” शांति ने इधर उधर झाँकते हुए कहा।
“निखिल तो वो, कमरे में होगा न” आयुष ने जवाब दिया।
“कहाँ हैं उसे बुलाइए न! निखिल” शांति अपनी जगह से उठी।
“वो आ जाएगा। शायद फोन देख रहा होगा।तुम रेस्ट करो न” आयुष ने उसे पुनः बैठा दिया।
“आपकी मीटिंग कैसी” शांति इससे आगे कुछ कह पाती निखिल की आवाज उसके कानों में गूँज उठी।
“पापा बर्तन धुल गए हैं। मम्मी कब तक आएगी” रसोईघर से आती हुई आवाज ने उसे हैरान कर दिया।
वह आयुष की ओर देखती रह गई। आयुष खामोश ही रहा और उसने अपना सिर नीचे झुका लिया।
शांति कुछ कह पाती इससे पहले ही निखिल वहाँ आया।
“मम्मी! आप आ गई” शांति के गले लगते हुए वह बोला।
“हाँ बेटा, लेकिन किचन में ये आवाज कैसी थी” शांति ने आयुष की ओर तिरछी नजरों से देखते हुए कहा।
“आराम से आओ शांति,अब कैसी है तबियत” आयुष ने उसे सहारा देते हुए सोफे पर बैठाया।
“हम्मम ठीक है अब” शांति धीरे से सोफे पर बैठी।
बंटी ने आयुष को सारा हाल सुनाया कि कैसे उनकी गाड़ी पंक्चर होने पर समीर ने उनका सहयोग किया। दवाईयों के बारे में जानकारी देने के पश्चात बह अपने घर चला गया।
“आप अकेले!निखिल कहाँ हैं” शांति ने इधर उधर झाँकते हुए कहा।
“निखिल तो वो, कमरे में होगा न” आयुष ने जवाब दिया।
“कहाँ हैं उसे बुलाइए न! निखिल” शांति अपनी जगह से उठी।
“वो आ जाएगा। शायद फोन देख रहा होगा।तुम रेस्ट करो न” आयुष ने उसे पुनः बैठा दिया।
“आपकी मीटिंग कैसी” शांति इससे आगे कुछ कह पाती निखिल की आवाज उसके कानों में गूँज उठी।
“पापा बर्तन धुल गए हैं। मम्मी कब तक आएगी” रसोईघर से आती हुई आवाज ने उसे हैरान कर दिया।
वह आयुष की ओर देखती रह गई। आयुष खामोश ही रहा और उसने अपना सिर नीचे झुका लिया।
शांति कुछ कह पाती इससे पहले ही निखिल वहाँ आया।
“मम्मी! आप आ गई” शांति के गले लगते हुए वह बोला।
“हाँ बेटा, लेकिन किचन में ये आवाज कैसी थी” शांति ने आयुष की ओर तिरछी नजरों से देखते हुए कहा।
“मम्मी वो, मैं तो”
निखिल की बात पूरी होने से पहले ही आयुष ने बीच में टोकते हुए कहा, “आई एम सॉरी शांति,आज मुझे समझ में आ गया कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता।किसी काम से ये तय नहीं किया जा सकता कि ये लड़का करेगा या लड़की”
“मैं कुछ समझी नहीं!ये सॉरी किसलिए”
आयुष ने निखिल को अपने पास बैठाया और उसके बालों को सहलाते हुए शांति को पूरी बात बताई।
दुहलानी सर और गुप्ता सर के साथ उसकी मीटिंग पूरी तरह सफल रही। उसका प्रेजेंटेशन देखकर तो उन्होंने तारीफों के पुल बाँध दिए। शांति की तबियत के बारे में सुनकर ही उन्होंने प्रेजेंटेशन के बाद सीधे घर जाने की बात कही परंतु सही समय पर निखिल ने अपना हुनर दिखाया और रसोईघर में अपने कदम जमा लिए। मटर पनीर और दाल चावल तैयार कर उसने तो गरमा गरम परांठे भी सेंक लिए। गुप्ता सर ने जैसा सोचा था ठीक उसी तरह का ही भोजन तैयार हुआ। वे दोनों तो अपनी उंगलियाँ चाटते रह गए। उन्होंने तो निखिल को ढेर सारा आशीर्वाद देते हुए कहा कि ऐसा बेटा हर किसी को नसीब नहीं होत।
निखिल की बात पूरी होने से पहले ही आयुष ने बीच में टोकते हुए कहा, “आई एम सॉरी शांति,आज मुझे समझ में आ गया कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता।किसी काम से ये तय नहीं किया जा सकता कि ये लड़का करेगा या लड़की”
“मैं कुछ समझी नहीं!ये सॉरी किसलिए”
आयुष ने निखिल को अपने पास बैठाया और उसके बालों को सहलाते हुए शांति को पूरी बात बताई।
दुहलानी सर और गुप्ता सर के साथ उसकी मीटिंग पूरी तरह सफल रही। उसका प्रेजेंटेशन देखकर तो उन्होंने तारीफों के पुल बाँध दिए। शांति की तबियत के बारे में सुनकर ही उन्होंने प्रेजेंटेशन के बाद सीधे घर जाने की बात कही परंतु सही समय पर निखिल ने अपना हुनर दिखाया और रसोईघर में अपने कदम जमा लिए। मटर पनीर और दाल चावल तैयार कर उसने तो गरमा गरम परांठे भी सेंक लिए। गुप्ता सर ने जैसा सोचा था ठीक उसी तरह का ही भोजन तैयार हुआ। वे दोनों तो अपनी उंगलियाँ चाटते रह गए। उन्होंने तो निखिल को ढेर सारा आशीर्वाद देते हुए कहा कि ऐसा बेटा हर किसी को नसीब नहीं होत।
शांति की आँखें बरस पड़ी और उसने निखिल के हाथों को चूमते हुए कहा, “मेरा बेटा, सचमुच मेरी परछाई है। मेरे न होते हुए भी इसने सबकुछ मैनेज कर लिया। मेरा बेटा सब काम कर सकता है और अपने पापा के लिए तो कुछ भी”
शांति की बात सुनकर आयुष बोला, “मेरा बेटा! मतलब सिर्फ तुम्हारा। शांति! ये हमारा बेटा है और ये अब से वही करेगा जो इसे अच्छा लगेगा। इसे क्रिकेट में अगर मन नहीं लगता तो कोई बात नहीं किसी और फील्ड में अपना कैरियर बना लेगा”
शांति ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा, “आयुष जी! आप ऐसा कह रहे हैं। ये ख्वाब है या हकीकत”
आयुष बोला, “आज मेरी आँखें खुल गई शांति। मेरा प्रेजेंटेशन जैसा भी रहा हो लेकिन गुप्ता सर की नजरों मेरा कॉन्फिडेंस बना रहा तो सिर्फ निखिल की वजह से। इस नन्हीं सी जान ने मुझे हिम्मत दी और और मेरा मान बढ़ा दिया। हमें एक्सल नेट का कॉन्ट्रैक मिल गया अब तुम देखना धीरे-धीरे मेरी सैलरी भी बढ़ जाएगी”
शांति की बात सुनकर आयुष बोला, “मेरा बेटा! मतलब सिर्फ तुम्हारा। शांति! ये हमारा बेटा है और ये अब से वही करेगा जो इसे अच्छा लगेगा। इसे क्रिकेट में अगर मन नहीं लगता तो कोई बात नहीं किसी और फील्ड में अपना कैरियर बना लेगा”
शांति ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा, “आयुष जी! आप ऐसा कह रहे हैं। ये ख्वाब है या हकीकत”
आयुष बोला, “आज मेरी आँखें खुल गई शांति। मेरा प्रेजेंटेशन जैसा भी रहा हो लेकिन गुप्ता सर की नजरों मेरा कॉन्फिडेंस बना रहा तो सिर्फ निखिल की वजह से। इस नन्हीं सी जान ने मुझे हिम्मत दी और और मेरा मान बढ़ा दिया। हमें एक्सल नेट का कॉन्ट्रैक मिल गया अब तुम देखना धीरे-धीरे मेरी सैलरी भी बढ़ जाएगी”
“पापा ये कॉन्ट्रैक्ट तो आपकी मेहनत का रिजल्ट है मैंने तो बस खाना बनाकर आपकी हेल्प की है। वैसे भी मैंने वही किया जो मम्मी ने मुझे सिखाया है” निखिल ने आयुष और शांति दोनों की ओर देखते हुए कहा।
“थैंक यू शांति एंड सॉरी भी। मैंने तुम्हारी परवरिश पर शक किया था न!आज मैं कहता हूँ तुम एक परफेक्ट मदर हो और…”
“और क्या आयुष जी”
“कुछ नहीं। चलो अब खाना खाते हैं तुम्हें रेस्ट भी तो करना है। क्या बढ़ाई खाना बनाया है निखिल ने”
आयुष ने हल्की मुस्कुराहट के साथ शांति को देखा और निखिल के साथ रसोईघर की ओर गया।
शांति की आँखें पुनः छलक उठी। उसकी गैर मौजूदगी में निखिल ने जिस तरह से घर संभाला था उसे अपनी परवरिश पर गर्व होने लगा। कितना सुलझा हुआ है उसका बेटा। स्कूल से थक हारकर आने के बाद भी उसने सारा इंतजाम कर लिया।
पहली बार उसके पति ने उसे धन्यवाद कहा ये उसके लिए किसी सपने से कम नहीं था। अपने खराब स्वास्थ्य की वजह से जो अब तक मुरझाई हुई थी अन्दर से वह खिल उठी। इतने दिनों बाद अपने पति के चेहरे पर मुस्कुराहट देख उसका अंतर्मन भी प्रफुल्लित हो उठा। आयुष और निखिल ने मेज पर भोजन परोसा।अपने परिवार के साथ शांति ने प्रेमपूर्वक भोजन किया और अपने बेटे के हाथों से बने भोजन का स्वाद चखकर मानो वह तृप्त हो गई।
“थैंक यू शांति एंड सॉरी भी। मैंने तुम्हारी परवरिश पर शक किया था न!आज मैं कहता हूँ तुम एक परफेक्ट मदर हो और…”
“और क्या आयुष जी”
“कुछ नहीं। चलो अब खाना खाते हैं तुम्हें रेस्ट भी तो करना है। क्या बढ़ाई खाना बनाया है निखिल ने”
आयुष ने हल्की मुस्कुराहट के साथ शांति को देखा और निखिल के साथ रसोईघर की ओर गया।
शांति की आँखें पुनः छलक उठी। उसकी गैर मौजूदगी में निखिल ने जिस तरह से घर संभाला था उसे अपनी परवरिश पर गर्व होने लगा। कितना सुलझा हुआ है उसका बेटा। स्कूल से थक हारकर आने के बाद भी उसने सारा इंतजाम कर लिया।
पहली बार उसके पति ने उसे धन्यवाद कहा ये उसके लिए किसी सपने से कम नहीं था। अपने खराब स्वास्थ्य की वजह से जो अब तक मुरझाई हुई थी अन्दर से वह खिल उठी। इतने दिनों बाद अपने पति के चेहरे पर मुस्कुराहट देख उसका अंतर्मन भी प्रफुल्लित हो उठा। आयुष और निखिल ने मेज पर भोजन परोसा।अपने परिवार के साथ शांति ने प्रेमपूर्वक भोजन किया और अपने बेटे के हाथों से बने भोजन का स्वाद चखकर मानो वह तृप्त हो गई।
क्रमशः…….
