खुद को तू पेहचान
खुद को तू पेहचान ... दुख मे भी तू जि सकता है.. हर आसू तू पिसकता है... पल पल मे खुश होणा तू सिख सकता है...
खुद को तू पेहचान... खुद कि मंझिल तू बना सकता है.. सबको हसणा सिखा सकता है... एक बार खुदको समझ तो सही.. जिंदगी जिने का नजरिया तू देख सकता है...
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