किस्मत
किस्मत मे लिखा वो होणा ही है..
पर हर चीज किस्मत पे छोडना ये गुन्हा है...
खुद को पेहचानना यही तो जीना है...
हर पल मे मुस्कुराना ये भी सिखना है...
हातो कि लकिरो मे कुछ होणा नही है..
जहां हॊसले बुलंद हो वहा रोना नही है..
काटो पे चलकर मंझिल को पाना वो कोई गुन्हा नही है...
जरुरत के टाइम मे ही अपणो को याद करणा ये रिश्ता निभाना तो नही है.....
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