भाग २
खिरसु गांव की सीमा पर स्थित वह प्राचीन हवेली, हमेशा गाँववालो के लिए एक रहस्यमय स्थान थी । हमेशा कोहरे से ढकी हुई और प्रकृति में खोयी हुई वह हवेली अब सुनसान और निर्जन थी । गाँव में इस बारे में कई कहानियाँ थीं - कुछ कहते थे कि उस हवेलीमें अमानवीय शक्ति रहती है , जबकि कुछ ने कहा था कि वहा जानलेवा अंधकार बसता है। राजवीर वही रहने आया था । आर्या हमेशा इस हवेली के बारे में उत्सुक थी । वह एक बहादुर और जिज्ञासु लड़की थी। वह जड़ी -बूटियों को इकट्ठा करने के लिए जंगल में जाने की आदी थी और हमेशा वहा से गुजरती थी, उसने उस दिन उस हवेली के अंदर जाने का फैसला लिया।
हवेली के दरवाजे भारी, पुराने और जंग लगे हुए थे। आर्या ने इसे धीरे -धीरे खोला। वह अंदर के दृश्य को देखकर थोड़ी आश्चर्यचकित हो गई। हवेली बहुत प्राचीन थी , लेकिन उसकी संरचना में एक अलग वैभव दिख रहा था। बड़ी बड़ी खिड़कियां, नक्काशीदार स्तंभ, और धूल भरे पुरानी युग के सामान सब जगह रखे हुए थे । हवेली में ठंडी हवा उसकी त्वचा को छू कर गुजर रही थी, और उसमे उसे एक अजीब चुप्पी महसूस हो रही थी। उसने हवेली में वस्तुओं को देखना शुरू कर दिया। उसकी नजर एक भव्य तस्वीर पर रुक गई, वह एक योद्धा था, जिसकी आँखों में अजीब तीव्रता और दर्द दिखाई दे रहा था। यह उसीकी तस्वीर थी जिसे उसने एक बार गांव के अंदर देखा हुआ था। तस्वीर उसे प्रभावित कर रही थी, लेकिन वह नहीं जानती थी कि वह जल्द ही तस्वीर वाला चेहरा उसके सामने पाने वाली थी।
आर्या अभी भी हवेली की चीजें देख रही थी, और देखते देखते वह एक पुराने कमरे में चली गई। कमरेमे बहुत अंधेरा था, लेकिन कोने में खड़ा एक आदमी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था। वह राजवीर था। उसकी लंबी ऊंचाई, चौड़ी छाती ,कंधे और उसका रहस्यमय व्यक्तित्व उस कमरे में उभर कर आ रहा था। उसने अपनी लाल-भूरे रंग की आँखों से उसकी ओर देखा, आर्या ने उसकी आँखों में एक रहस्यमय आकर्षण महसूस किया। वह एक पल के लिए दंग रह गई, जैसे कि उसका शरीर और दिल एक पल के लिए बंद हो गया हो।
"आप? ... यहाँ? ... कौन? आप कब से यहाँ रहने आये हैं?" आर्या ने उत्सुकता से पूछा। क्योंकि वह जानती थी कि कई वर्षो से उस हवेलीमें कोई भी नहीं रहता था।
राजवीर शांत खड़ा था। वह अपनी आँखों में तीव्रता महसूस कर रहा था, लेकिन उसने अपने रहस्य को बनाए रखते हुए जवाब दिया।
"मैं बस यहाँ कुछ ही समय पहले आया हूँ । आप यहाँ क्यों आये, यह जगह आपके लिए अच्छी नहीं है। किसी अकेली लड़की को तो यहाँ आना खतरेसे खाली नहीं है?"
"मैं हमेशा इस हवेली के बारे में उत्सुक थी, आज दरवाजेके बाहर ताला नहीं दिखा, कोई अंदर होगा इसलिए डरने की कोई आवश्यकता नहीं ये विचार करके मैं अंदर आ गयी और आप ?" आर्या ने पूछा।
"मैं सिर्फ एक यात्री हूं। पुरानी हवेलिया मुझे हमेशा अच्छी लगती है वह मुझे बुला रही है ऐसे लगता है," राजवीर ने एक ठंडे स्वर में जवाब दिया। उसका स्वर शांत और सीमित था, जैसे कि वह उससे बात भी नहीं करना चाहता था।
आर्या उससे बात करने की कोशिश करती रही। उसके मन में राजवीर के बारे में कई सवाल थे, उसकी आँखों का दर्द, उसका शांत और रहस्यमय स्वभाव, और उसका यहाँ आने का कारण। लेकिन राजवीर ने अपने सभी सवालों के छोटे सीधे साधे जवाब दे दिए। वह उससे दूर रहने की कोशिश कर रहा था। वह जानता था कि यह आर्या के लिए खतरनाक हो सकता है, क्योंकि वह एक नरपिशाच था, आर्याका खून उसको आकर्षित कर रहा था। अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए वह एक रसायन का काम कर सकता था।
"आप इस हवेली में अकेले क्यों आए हो ?" राजवीर ने फिरसे पूछा, जैसे कि वह विषय को बदलने की कोशिश कर रहा था।
"मैं हमेशा अकेली ही रहती हूं। मुझे नई चीजें ढूंढना पसंद है," आर्या ने कहा। उसके चेहरे पर एक प्यारी मुस्कान थी, और उसकी सहेज बात करने की आदत राजवीर को प्रभावित कर रही थी। राजवीरकी आँखें आर्याके चेहरे से शरीर की ओर बढ़ रही थीं। आर्याके हाथो की लाल खून भरी नस उसकी जीभ को आकर्षित कर रही थी।
आर्या एक प्राकृतिक सौंदर्यवान युवा लड़की थी, जिसकी सादगी हर किसीको मोहित कर सकती थी। उसकी मध्यम ऊंचाई, पतला और सुंदर शरीर बहुत नाजुक था, लेकिन उसके व्यक्तित्व में हमेशा आत्मविश्वास झलकता था। उसकी गेहुए रंग की त्वचा सूरज जैसे चमकती थी, जो खिरसू के ठंडे मौसम में ताजा और तेजस्वी दिखती थी।
उसकी बड़ी, गहरी नीली आँखे उसकी अंदर की भावनाये व्यक्त किया करती थी, उसकी लंबी पलकें हर पल उसकी आँखों को और अधिक आकर्षक बना देती थीं। आर्या के लंबे, मुलायम काले गहरे बाल उसके चेहरे से लहराते रहते थे, जैसे कि कोई पागल नदी हवा के साथ खेल रही हो।
उसके चेहरे पर मध्यम आकार की नाक, और पतले, सुंदर होंठ उसकी हंसी को और अधिक आकर्षक बना रहते थे। हालाँकि उसकी मुस्कान छोटी थी, लेकिन वह किसी को प्रसन्न कर सकती थी। उसके चलने में एक तरह की सहजता थी, जैसे कि प्रकृति उसके प्रत्येक कदम में ताल पकड़ती हो।
राजवीर उसको देख कर खो सा गया था। जब आर्या उससे बात कर रही थी, तभी उसका हाथ एक जंग खाए हुए दरवाजे के किल पर लगा उसके उंगलीसे खून निकलना शुरू हो गया। आर्याने तुरंत अपनी उंगली दबाकर खून को रोकने की कोशिश शुरू की, लेकिन लाल रंग का खून धीरे -धीरे उसके उंगलीसे निकल ही रहा था। जमीन पर उसके छींटे गिरने लगे।
जैसे ही खून की खुशबू महकने लगी, वैसे राजवीर तिलमिला उठा। उसके शरीर का शापित पिशाच जागृत हो गया। उसकी आँखो की लालिमा बढ़ गई, और उसका शरीर झिल्लाने लगा। वह हर पल खुद को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसके इंद्रिय अब आर्या के खून से जाग उठे थे।
आर्या अभी भी अपनी उंगली से आनेवाले रक्तप्रवाह को रोकने की कोशिश कर रही थी, इसी बजह से उसके सामने राजवीर के अजीब व्यवहार पर वह ध्यान नहीं दे पायी। लेकिन अचानक, राजवीर उसके पास आया। उसने आर्या का हाथ अपने हाथ में ले लिया, और उसकी खून से भरी हुई उंगली अपने मुँह में डाल दी।
एक झटका बैठनेके कारण आर्या कुछ कह नहीं सकी। उसे समझ नहीं आया कि राजवीर अचानक ऐसे क्यु कर रहा है। राजवीर ने उसका खून चखा, और उसका सारा शरीर उसके मस्तिष्क के काबू से हट गया। आर्या का खून राजवीर के लिए अमृत जैसा था, सदियों से उसने जिन जिन लोगों का रक्त पिया था, या फिर जानवरों का रक्त पिया था, ये उससे काफी अलग था, जैसे कि इसमे उसकी पूरी ताकत और जीवन को बदलने की क्षमता थी।
उसका जबड़ा अब उसकी उंगली काटने लगा था, वह ज्यादा से ज्यादा उसकी उंगली से रक्त पीना चाहता था, लेकिन उसी वक्त उसका दिल जागृत हो गया। वह खुद को शुद्धि में ले आया, उसने जल्दी से आर्या का हाथ छोड़ दिया। वह पीछे मुड़कर आर्या को देखे बिना भागने लगा।
"रुको! आपने ऐसे क्यू किया?" आर्या उलझन में चिल्लायी, लेकिन राजवीर उसे जवाब दिए बिना वहासे बाहर भाग गया।
आर्या उस घटना से हिल गयी थी। वह अभी भी अपनी खून भरी उंगली को देख रही थी, और उसके दिमाग में कई सवाल थे, वह आदमी कौन था? उसने मेरे उंगली से चूस चूस के खून पीना क्यों शुरू किया? और अचानक भाग क्यू गया? आर्याके मन में राजवीर के बारे में रहस्य और भी बढ़ गया। वह हवेली के उस जगह को देखने लगी जहासे राजवीर भाग गया था, लेकिन उसे वह कही दिखाई नहीं दे रहा था ।
हवेली के बाहर, राजवीर जंगल में खुद को शांत करने की कोशिश कर रहा था। अपने रक्तपिशाच होने के कारण आर्या का जीवन खतरे में आ गया था, और वह खुद को रोकने में सफल रहा इसलिए खुश भी था । लेकिन उस वक्त उसके शरीर को खून का स्वाद मिलने के बजह से वह पूरी तरह से शांत नहीं हो रहा था।उसने सामने से भाग रहे एक खरगोश को पकड़ लिया, और एक पल में ही, उसकी गर्दन में अपने दांत घुसाकर उसके खून से अपनी प्यास बुझा ली।
"मेरी बजह से उसकी जान खतरे में आ गयी थी। मुझे उससे दूर रहना होगा," वह खुद से बोल रहा था। लेकिन उसके दिल को पता था कि आर्या उसका जीवन बदलने की काबिलियत रखती थी। क्या वह खुद को उससे दूर रख सकता था? या यह उसके भाग्य में लिखी एक काली पत्थर की रेखा बन चुकी थी?
क्रमशः
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यह कहानी काल्पनिक है। इसमें चित्रित नाम, पात्र, स्थान और घटनाएँ लेखक की कल्पना की उपज हैं या काल्पनिक हैं। किसी भी वास्तविक व्यक्ति, घटना या स्थान, जीवित या मृत, से इसकी कोई भी समानता पूर्णतः संयोगवश है।
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