भाग ८४
सर्पकला जब जंगल में वज्रदंत और आशय के बीच युद्ध देख रही थी, तभी उसके मन में एक अलग ही विचार आया। वज्रदंत अब मरणासन्न अवस्था में था। सहस्त्रपाणि अपनी हार से क्रोधित होगा और अब सर्पकला को एक बार फिर उसके सामने झुकना पड़ेगा। हो सकता है कि वे उसे इसके लिए कड़ी सज़ा दें। लेकिन साथ ही, उसके मन में एक अलग ही विचार कौंधा, खेल अभी खत्म नहीं हुआ है!
सर्पकला के मन में भय और क्रोध का एक अजीब सा संगम बन रहा था। वज्रदंत की हार उसे स्तब्ध कर रही थी, लेकिन अब उसे अपने भविष्य की भी चिंता होने लगी थी। वह सहस्त्रपाणि के क्रूर दंडों से भली-भांति परिचित थी। अगर वज्रदंत जैसा शक्तिशाली योद्धा हार मान लेता, तो अब उसका क्या होता? उसने कुछ देर सोचा। क्या उसे वापस जाकर सहस्त्रपाणि को जवाब देना चाहिए या अपना कोई नया कदम उठाना चाहिए? वह खुद को हारा हुआ नहीं मानने वाली थी। वह कुछ ऐसा करने जा रही थी जिससे न केवल उसका अस्तित्व सुरक्षित रहे, बल्कि उसे वह सब कुछ भी मिल जाए जो वह चाहती थी।
वह जल्दी-जल्दी सोचने लगी। उसके दिमाग़ में एक तरकीब आई, आर्या! हाँ, आर्या को ख़त्म करने का मतलब था इस पूरे संघर्ष का अंत। आर्या अभी ज़िंदा थी! अगर उसने आर्या को ख़त्म कर दिया, तो सब कुछ उसके कब्ज़े में आ जाएगा। राजवीर पहले ही घायल हो चुका था, बलदेव बेहोश हो चुका था, और गाँव के बाकी लोगों को अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था।
आर्या के ख़त्म होते ही राजवीर पूरी तरह शोक में डूब जाएगा और सहस्त्रपाणि से रक्तमणि को बचाने की बात भी नहीं सोचेगा। वह ख़ुद सहस्त्रपाणि को रक्तमणि अर्पित कर देगा, और बदले में, वह उससे सर्पकला से, शादी करने को तैयार हो जाएगा। उसे सब कुछ मिल जाएगा। सर्पकला और राजवीर उसके सपनों की दुनिया, सब कुछ उसका होगा। वह तेज़ कदमों से गाँव की ओर दौड़ी। अब खेल का अंत वही तय करने वाली थी!
गाँव पहुँचते ही, हर तरफ़ एक भयावह सन्नाटा छा गया था। युद्ध में नरभक्षी भेड़ियों का सफ़ाया हो चुका था। उसे कोई नहीं रोक सकता था। उसकी आँखों के सामने, बलदेव खून से लथपथ ज़मीन पर बेहोश होकर गिर पड़ा था। आर्या घर की दहलीज़ पर अकेली थी। वह राजवीर के ज़ख्म साफ़ कर रही थी, उसके चेहरे पर पानी छिड़क रही थी, वह भी स्तब्ध था। उसके चेहरे पर डर और चिंता साफ़ दिखाई दे रही थी।
सर्पकला धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ी। उसने ज़मीन पर गिरी तलवार उठाई और उसकी आँखों में एक क्रूर भाव उभर आया। आर्या डर के मारे उठी और पीछे हट गई।
सर्पकला (हँसते हुए) - आर्या, तेरी किस्मत कितनी अच्छी है ना? कितने लोग तेरे लिए जान देने को तैयार हैं। पर अब सब खत्म हो जाएगा। मैं तुझे खत्म कर दूँगी, और फिर राजवीर मेरा होगा।
आर्या (निडरता से) - राजवीर कभी तेरा नहीं होगा, सर्पकला। वह जानता है कि तू सिर्फ़ स्वार्थी है। तू उससे प्यार नहीं करती, तू सिर्फ़ उसके हाथों की ताकत चाहती है।
सर्पकला (हँसते हुए और तलवार लहराते हुए) - और तुझे क्या लगता है, इस बार वो तुझे बचाने आएगा? वो तो खून से लथपथ पड़ा है। उसे अभी तक होश भी नहीं आया है। आज तुम्हारा पति तुम्हें बचाने नहीं आ सकता।
आर्या (आँखों में आत्मविश्वास लिए) - चाहे कुछ भी हो जाए, वह आएगा। मुझे पता है। क्योंकि राजवीर कभी हार नहीं मानता। उसने वज्रदंत जैसे राक्षस से युद्ध किया था, तुम कौन सी बड़ी बात हो?
सर्पकला (ज़ोर से तलवार उठाते हुए) - मूर्ख लड़की! क्या तुम्हें लगता है कि मैं हार गई? अगर मैंने तुम्हें मार डाला, तो राजवीर खुद सहस्त्रपाणी को रक्तमणि दे देगा। वह सदमे में चला जाएगा। और फिर वह मेरा हो जाएगा!
आर्या (सावधानी से, निश्चय के साथ) - नहीं, सर्पकला। तुम कभी नहीं जीत पाओगी। क्योंकि तुम्हारी ताकत झूठे प्रलोभन पर टिकी है। और राजवीर ऐसे स्वार्थी व्यक्ति के जाल में कभी नहीं फसेगा। तुम सोच सकती हो कि वह ठीक नहीं है, लेकिन मैं तुमसे कहती हूँ, अगर उसे लगेगा कि मैं मुसीबत में हूँ, तो वह कहीं से भी उठ खड़ा होगा।
सर्पकला (गुस्से से): तुम कितनी भोली हो, वह इतनी जल्दी उठ नहीं पाएगा। अगर मैं तुम्हें मार दूँगी, तो सब कुछ मेरा हो जाएगा! राजवीर सिर्फ़ तुम्हारे प्यार के लिए लड़ रहा है, वह तुम्हें बचाने आया था। लेकिन अगर तुम नहीं रहोगी, तो उसके पास लड़ने का कोई कारण नहीं बचेगा! वह आख़िरकार मेरे पास ही आएगा।
आर्या के चेहरे पर एक अजीब सा भाव उभर आया। उसे अंदाज़ा भी नहीं था कि सर्पकला के मन में ऐसी योजना होगी।
सर्पकला ने अपनी तलवार उठाई और आगे बढ़ी। उसने वार करना शुरू किया, लेकिन आर्या किसी तरह खुद को बचा रही थी। हालाँकि, वह जानती थी कि वह ज़्यादा देर तक सर्पकला से बच नहीं पाएगी। आख़िरकार, एक तेज़ झटके में सर्पकला ने अपनी तलवार उठाई और आर्या के पेट में सीधे वार करने ही वाली थी।
लेकिन, उसी समय एक अजीब सी घटना घटी।
जैसे ही तलवार की नोक आर्या के पेट से टकराई, अचानक सर्पकला के हाथ की तलवार और फिर उसके हाथ का पंजा पिघलने लगा! वह चमक उठा। उसका हाथ आग की तरह जलने लगा। तलवार उसके हाथ से पिघल गई, और उसके पूरे शरीर में एक अजीब सी कंपन फैल गई। उसकी त्वचा पिघलने लगी, मानो उसकी आत्मा ही जलकर राख हो रही हो!
सर्पकला दर्द से चीख रही थी। उसके हाथ का पंजा पिघलते ही वह रोने लगी। उसकी त्वचा पर एक अजीब सा गहरा नीला रंग फैलने लगा, मानो किसी ऊर्जा ने उसे अंदर से तबाह कर दिया हो। उसके शरीर पर आग की एक चमक उठने लगी। उस जलते हुए दर्द में, उसे एहसास हुआ कि आर्या एक साधारण महिला नहीं है, उसके पेट में एक असाधारण शक्ति छिपी हुई है।
वहीं शक्ति खुद सर्पकला का अंत तय कर रही थी। उसकी उंगलियों में डर की लहर उठने लगी। उसने खुद को संभालने की कोशिश की, लेकिन उसके पैरों में एक तेज़ दर्द फैल गया। उसे लगा कि उसके भीतर की सारी बुरी शक्ति अब उसे छोड़ रही है, और उसका अस्तित्व खत्म होने के कगार पर है।
आर्या सदमे में सामने देख रही थी। सर्पकला उसके सामने तड़प रही थी, लेकिन उसकी आँखों में न तो दया थी और न ही डर। सर्पकला हमेशा से ही धोखेबाज़ और निर्दयी थी, और अब वह अंततः हार गई थी। उसके शरीर से काला धुआँ उड़ने लगा, उसका मांस पिघलने लगा, और कुछ ही क्षणों में वह काले द्रव की एक बूँद से ज़्यादा कुछ नहीं बच पाई, जो जल्द ही ज़मीन में घुल रही थी। उसकी आखिरी चीखें रात के अँधेरे सन्नाटे में घुल गईं। हवा का एक झोंका आया, और सर्पकला के अस्तित्व का आखिरी निशान भी मिट गया। आर्या ने गहरी साँस ली। वह जीत गई थी। सर्पकला अब हमेशा के लिए चली गई थी!
आर्या दंग रह गई। वह सर्पकला जो कुछ क्षण पहले तलवार उठाए उसके सामने खड़ी थी, अब अस्तित्वहीन थी। आर्या ने खुद को देखा, उसके हाथ में कोई हथियार नहीं था। उसके होठों से कोई मंत्र नहीं निकला था, फिर भी यह सब हो गया था। वह कुछ क्षण वहीं स्तब्ध खड़ी रही। उसने महसूस किया कि उसके पेट में कुछ अद्भुत, कुछ रहस्यमय जीव है। शायद वही शक्ति जिसकी सभी ने कल्पना की है।
उसके मन में विचारों की बाढ़ आ गई, क्या यह शक्ति हमेशा से उसके भीतर थी? या यह सर्पकला के अस्तित्व के विरुद्ध जागृत हुई थी? उसे याद आया, ज़िंदगी में उसने जो भी संघर्ष किए थे, हर लड़ाई लड़ी थी, यहाँ तक कि मौत के कगार पर खड़े होने पर भी, आखिरकार वो सत्य और न्याय के लिए ही थी! वो अब भी अपने शरीर से ऊर्जा के हल्के कंपन महसूस कर सकती थी। वो धीरे-धीरे होश में आ रही थी। अपने सामने फैले काले तरल मिट्टी को देखकर उसने गहरी साँस ली। युद्ध समाप्त हो चुका था। लेकिन इस जीत ने उसके लिए नए सवाल खड़े कर दिए थे, ये शक्ति क्या थी? और इसका असली मकसद क्या था?
क्रमशः
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