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रक्तपिशाच का रक्तमणि ८९

एक रक्त पिशाच और मानव कन्या की प्रेम कहानी
भाग ८९

दो दिन बीत गए, इसलिए महाभूषण को वापस सभा में लाया गया। महाभूषण अभी भी सिंहासन के सामने भावशून्य खड़े थे। उनकी आँखों में न तो भय था और न ही अधीरता। वे एक स्थिर सागर की तरह थे, शांत, गहरे और अनंत। उनके सामने, सहस्त्रपाणि सिंहासन पर विराजमान था, उसके विचार उसके चेहरे पर गर्व भरी मुस्कान में साफ़ दिखाई दे रहा था।

महाभूषण सिर्फ़ एक कैदी नहीं थे; वे एक विशिष्ट व्यक्ति थे जो एक रहस्य जानते थे, एक ऐसा रहस्य जिसे जानने के लिए सहस्त्रपाणि असामान्य रूप से अधीर था। सभा में उपस्थित सैनिकों ने भी महसूस किया कि यहाँ सिर्फ़ दो व्यक्ति एक-दूसरे के सामने खड़े नहीं थे; यहाँ भविष्य की अनंत संभावनाएँ एक-दूसरे के सामने थीं।

अपनी तलवार की मूठ पर हाथ रखते हुए, सहस्त्रपाणि आगे झुका और पूछा,

"महाभूषण, दो दिन हो गए। तुम चुपचाप बैठे हो, कुछ बोले भी नहीं। इसका क्या मतलब है? क्या तुम डरे हुए हो? या तुम्हें एहसास हो गया है कि मेरे सामने खड़ा होना तुम्हारी मौत को न्योता देना है?" सभा में हल्की-सी हँसी गूंजी, लेकिन महाभूषण की आँखें अभीभी शांत थीं और उन्होंने सहस्त्रपाणि की ओर देखते हुए उत्तर दिया,

"जिसे अपनी शक्ति पर गर्व होता है, वह यह नहीं समझता कि सारा ब्रह्मांड एक नियम के अनुसार चलता है। मैं यहाँ इसलिए हूँ क्योंकि समय ने मुझे यहाँ लाया है। और मैं शांत हूँ क्योंकि सच बोलने में जल्दबाजी करने की कोई ज़रूरत नहीं है।" उनके शांत, लेकिन प्रभावशाली शब्दों ने सभा में हो रही कानाफूसी को अचानक रोक दिया। अब, सबकी नज़रें केवल इन दो महापुरुषों पर टिकी थीं।

सहस्त्रपाणि ने ठंडी मुस्कान के साथ पूछा,

"तो बताओ महाभूषण, तुम्हारे ग्रह-नक्षत्र क्या कहते हैं? मेरी जीत तो पक्की है, है ना?"

महाभूषण ने सहस्त्रपाणि पर अपनी नज़रें गड़ा दीं। उनकी आँखों में ज़रा भी डर नहीं था; बल्कि उस नज़र में एक गहन ज्ञान और असाधारण स्थिरता थी। उन्होंने एक गहरी साँस ली और शांत, लेकिन दृढ़ स्वर में उत्तर दिया,

"सहस्त्रपाणि, तुम जो योजनाएँ बना रहे हो, वे तुम्हारे विनाश को ही आमंत्रित कर रही हैं।"

सभा में एक पल का सन्नाटा छा गया। सहस्त्रपाणि ज़ोर से हँस पड़ा।

"तुम खुद को महान भविष्यवक्ता कहते हो! लेकिन क्या तुम्हें अपने भविष्य के बारे में कुछ नहीं पता? तुम आज मेरे सामने खड़े हो, मुझे चुनौती दे रहे हो, लेकिन क्या तुम्हें एहसास नहीं कि तुम्हारा जीवन अब मेरे हाथों में है?"

महाभूषण ने बिना किसी भय के उत्तर दिया, "मेरा जीवन और मृत्यु मेरे कर्मों पर निर्भर है, सहस्त्रपाणि। लेकिन तुम्हारे कर्मों का फल निश्चित है।"

सहस्त्रपाणि क्रोध से भर गया। उसने अपनी तलवार की मूठ पर हाथ रखा।

"मुझे राजवीर, आर्या और उसके बच्चे के बारे में बताओ। उनका भविष्य क्या है? मैं उन्हें अपने रास्ते से कैसे हटा सकता हूँ?"

महाभूषण ने शांति से उत्तर दिया,

"उस बच्चे में असाधारण शक्ति है। वह ब्रह्मांड को बचाएगा या नष्ट करेगा। लेकिन किसी की इच्छा से नहीं, उस शक्ति के अपने निर्णय से।"

सहस्त्रपाणि के माथे की नसें फड़क उठीं। "संभलकर बोलो, महाभूषण! अगर तुमने मेरे प्रश्नों का सही उत्तर नहीं दिया, तो मैं तुम्हारे प्राण ले लूँगा!"

महाभूषण, फिर भी, अविचलित रहे। "मैं बता सकता हूँ कि भविष्य में क्या होगा, लेकिन उसे बदलना मेरे बस में नहीं है।"

सहस्त्रपाणि ने अपनी तलवार निकाली और उसे ज़मीन पर पटक दिया। "मुझे अपने सवालों के सीधे जवाब चाहिए, तुम्हारी पहेलियों के शब्द नहीं!"

महाभूषण ने आँखें बंद कर लीं और शांत स्वर में कहा, "अगर तुम उस बच्चे को नष्ट करने की कोशिश करोगे, तो तुम खुद नष्ट हो जाओगे। क्योंकि यह शक्ति सिर्फ़ उस बच्चे की नहीं, बल्कि प्राचीन काल से प्रवाहित हो रही ऊर्जा की है।"

यह सुनकर सहस्त्रपाणि ने ज़ोर से हँसते हुए उत्तर दिया,

"मुझे ऐसी कहानियों और बातों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। मैं उस बच्चे को नियंत्रित करने के लिए दुनिया की सबसे अच्छी ऊर्जा का इस्तेमाल करूँगा!"

"यह ब्रह्मांड एक संतुलन पर आधारित है। हर क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती है, हर बल का एक विरोधी बल होता है। अगर तुम उस बच्चे को नष्ट करने की कोशिश करोगे, तो तुम्हें सृष्टि के मूल नियमों के विरुद्ध जाने की कीमत चुकानी पड़ेगी। क्योंकि वह सिर्फ़ एक बच्चा नहीं है, वह अनंत ऊर्जा का वाहक है। वह इस ब्रह्मांड के भविष्य का केंद्र है। जो कोई उसे मारने की कोशिश करेगा, वह खुद अपने अस्तित्व को खतरे में डालेगा।"

सभा में एक खामोशी छा गई। कुछ सैनिकों को ये शब्द समझ में नहीं आए, जबकि कुछ डर से भर गए। लेकिन सहस्त्रपाणि मुस्कुराते रहे। उन्होंने हल्के से अपनी उँगलियाँ अपने सिंहासन की पट्टियों पर फिराईं और आगे झुककर कहा,

"महाभूषण, तुम्हें क्या लगता है कि मैं सृष्टि के किस नियम का पालन करता हूँ? मैं इस संसार को अपनी इच्छा से चलाता हूँ। मैं तय करूँगा कि क्या बचेगा और क्या नष्ट होगा। और मैं ही उस बालक का भाग्य भी तय करूँगा!"

महाभूषण शांत थे। उनके चेहरे पर न तो भय था और न ही क्रोध। उन्होंने केवल एक ही वाक्य कहा,

"जिसने जब कभी स्वयं को भगवान समझने की भूल की है, उसका अंत निश्चित है।"

सहस्त्रपाणि सोच रहे था,  संसार की सबसे बड़ी शक्ति रक्तमणि है। यदि हम रक्तमणि का उपयोग करें, तो हम उस बालक को वश में कर सकते हैं। उन्हें लगा कि रक्तमणि राजविर के पास है और उसे जल्द से जल्द उसे प्राप्त करना चाहिए।

"किसी भी हालत में, रक्तमणि मेरे अधिकार में आनी ही चाहिए!" उसने मन ही मन निश्चय किया।

सहस्त्रपाणि ने अपने सभी मंत्रियों को बुलाया, "हमें रक्तमणि तुरंत चाहिए। हमें इसे किसी भी तरह प्राप्त करना होगा। मेरे सर्वश्रेष्ठ सैनिकों को राजवीर से रक्तमणि पुनः प्राप्त करने का आदेश दो!" सभा में गर्जना गूंज उठी।

महाभूषण बस मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। "रक्तमणिका दुरुपयोग तुम्हारे विनाश की शुरुआत होगी, सहस्त्रपाणि।"

सहस्त्रपाणि ने उन्हें घूरकर देखा और कहा, "मेरा विनाश संभव नहीं है, मैं नदी को अपनी इच्छानुसार बहाता हूँ, फिर बाकी लोगो का क्या होगा।"

महाभूषण आँखें बंद किए बस सोच रहे थे, यह संघर्ष अब अपरिहार्य था।

किले के बाहर...........

महाभूषण सभी गाँवों में प्रसिद्ध थे, इसलिए उनके अपहरण की खबर सभी गाँवों में फैल गई थी। यह सुनकर कि उन्हें जबरन किले में ले जाया गया है, राजवीर, आशय और बलदेव तीनों चिंतित हो गए। महाभूषण न केवल एक विद्वान थे, बल्कि वे सभी गाँवों के अस्तित्व का आधार थे। इसलिए, उन्हें छुड़ाने के लिए सही रणनीति बनाना आवश्यक था।

राजवीर साहसी स्वभाव का था, लेकिन आशय शांत और संयमी था। बलदेव ने भी संकट के समय साहस दिखाया था । राजवीर ने इस समय तीखे स्वर में कहा, "हमें तुरंत कुछ करना होगा। हमें करना ही होगा!" लेकिन आशय ने उसे रोक दिया,

"हाँ, लेकिन हम सीधे हमला नहीं करेंगे। पहले जानकारी इकट्ठा करेंगे, फिर उचित कार्रवाई करेंगे।"

इस पर बलदेव ने सिर हिलाया।

"यह सही है। हमें पता होना चाहिए कि किले में कितने सैनिक हैं, महाभूषण को कहाँ रखा गया हैं, हम उनसे कैसे बच सकते हैं, यह सब।"

तीनों ने मिलकर गाँव के कुछ जानकार लोगों से पूछा। एक गडियारेने बताया कि इस समय किले की रखवाली शक्तिशाली सैनिक कर रहे हैं। एक और चरवाहे ने बताया कि किले के पीछे एक गुप्त रास्ता है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

"यह रास्ता हमारी मदद कर सकता है," आशय ने कहा।

"अगर हम सीधे किले पर हमला करने जाएँगे, तो हम हार सकते हैं। लेकिन अगर हम इस गुप्त रास्ते से अंदर घुसकर महाभूषण को पा लें, तो उन्हें बचाना आसान हो जाएगा।"

उसी समय, आर्या घर के एक कोने में बेचैनी से बैठी थी। उसे तरह-तरह के रहस्यमय सपने आ रहे थे। एक सपने में उसने देखा, उसके गर्भ में पल रहा बच्चा तेज से चमक रहा था, और उस तेज में पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ था।

उसे एहसास हुआ कि उसके गर्भ में पल रहा प्राणी सिर्फ़ एक शिशु नहीं, बल्कि एक महान ऊर्जा है जो पूरे ब्रह्मांड के संतुलन को प्रभावित करती है।

"यह शक्ति किसी के नियंत्रण में नहीं होगी। यह अपने निर्णय स्वयं लेगी। इसका उपयोग सृष्टि के कल्याण के लिए भी किया जा सकता है।"

वह नींद में बुदबुदाई, "मैं कौन हूँ? सिर्फ़ एक माँ या इस अनोखी शक्ति की वाहक?"

क्रमशः

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