भाग ४
खिरसू गांव के शांत वातावरण में भी, राजवीर का दिमाग अधिक बैचेन हो रहा था। उसने महसूस किया कि इस गाँव में उसका शेष अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रह पायेगा। आर्याने अचानक राजवीरके जीवन में प्रवेश किया था, और उसकी सादगीसे राजवीरका अकेलापन कम हो रहा था, लेकिन साथ ही साथ Aआर्याका राजवीरके और करीब आना आर्याके लिए खतरनाक हो सकता था।यदि राजवीरके अंदरका रक्त पिशाच जागृत हो गया और वह उसे अपने काबू में ना रख पाया, तो फिर बड़ी गड़बड़ हो सकती थी।
"अगर मेरा रहस्य खुल जाता है, तो आर्याका जीवन बर्बाद हो जाएगा," वह खुद से कह रहा था। वह जानता था कि इंसानो के साथ दोस्ती की कई सीमाएँ थीं, लेकिन आर्या के साथ रहने से उसका जीवन फिर से फूलों की तरह खिल सकता था।
उसके दिमाग पर एक बहोत बड़ा बोझ सता रहा था। उसका पुराना दोस्त आशय जिसके साथ उसका संपर्क नहीं हो पा रहा था, एक वही था जिसे राजवीरके अमरता का रहस्य पता था। वह हमेशा उसके लिए सही और सुरक्षित स्थानों की तलाश में रहता था, क्योंकि हर जगह कुछ समय बाद, लोग उस पर संदेह करना शुरू कर देते थे। उसका गाववालोंसे अलग रहना, आने जानेका समय, उसकी सफ़ेद गोरी त्वचा इस बजह से वह सबसे अलग लगता था, वह जहा भी रहता था वहा उसके आसपास के जानवर धीरे धीरे गायब होते जाते थे, ये भी एक अलग कारण था।
आशय शायद कहीं दूर चला गया था, और उससे संपर्क करना अब असंभव हो गया था।
राजवीर ने खुद को समझाया, "आशय के वापस आने तक इंतजार करने के अलावा मेरे पास कोई भी विकल्प नहीं है।"
इस बीच, आर्या अब उसका अधिक से अधिक समय पुराने हवेलीमें बिताने लगी थी। वह न केवल हवेली की वास्तुकला या इतिहास पर शोध करने आती थी, बल्कि राजवीर से बात करने के लिए भी आने लगी थी। राजवीर के बारे में जिज्ञासा उसके दिमाग में बढ़ी जा रही थी।
"तुम इतने रहस्यमयी क्यों हो?" एक बार उसने राजवीर से एक सीधा सवाल पूछा।
राजवीरने थोड़ी मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "मेरे जीवन के भूतकाल में बहुत सारी रहस्यमय चीजें हैं, मुझे उनकी रक्षा करने के लिए उन्हें रहस्यमय रखना पसंद है।
राजवीरने आर्या को चुप तो कर दिया, लेकिन आर्या के सवालों को रोकना आसान नहीं था।
"तुम अपने अतीत के बारे में कुछ नहीं कहते? तुम इस बड़े हवेलीमें अकेले कैसे रहते हो?"
राजवीर ने एक बार सोचा कि उसे सारी सच्चाई बता देनी चाहिए, लेकिन वह आर्याकी आँखों में दिखनेवाली सादगी और विश्वास देखकर चुप रहा। उसे ये सब बताकर वह परेशान नहीं करना चाहता था।
"मेरे अतीत में हमारे परिवार में बहुत सारे लोग थे।" उसने चुपचाप जवाब दिया।
"लेकिन अब केवल उन सभी की यादेंही मेरे साथ बाकि रह गयी हैं, और वह यादे मेरा साथ कभी नहीं छोड़ेंगी।"
आर्या इस आधे अधूरे जवाब से संतुष्ट नहीं थी। वह हर बार नए सवाल पूछती जा रही थी, लेकिन हर बार राजवीर ध्यानसे उसे जवाब देकर चुप कर लेता था।
राजवीरको आर्याके मन की उत्सुकता पता चल रही थी, लेकिन वह डरता था कि अगर आर्या उसके असली रूप के बारे जान जाती है, तो वह उसे कभी स्वीकार नहीं करेगी।
आजकल, राजवीर को अपनी पिछली बातें याद आना शुरू हो गयी थी। सदियों पहले की एक गलती, जिसके वजह से सहस्त्रपाणी के साथ उसकी शत्रुता हो गयी थी, वह यादे अभी भी उसे शान्तिं से सोने की अनुमति नहीं देती थी। वह जानता था कि सहस्त्रपाणी द्वारा भेजा गया त्रिकाल अभी भी उसकी तलाश कर रहा था।
सहस्त्रपाणी एक प्राचीन पिशाच परिवार का एक शक्तिशाली गुरु था, जिसकी दुश्मनी पिछले दो सौ शताब्दियों से राजवीर के साथ थी। राजवीर ने उसके परिवार के सदस्यों को बचाने के बजाय उसे बचाया था, और इस वजह से सहस्त्रपाणी के मन में राजवीर के बारे में गलतफैहमी हो गयी थी। उसने अपने कुछ शिष्यों को राजवीर को खोजने के लिए भेजा था। त्रिकाल उनमें से ही एक था।
अब त्रिकाल ने उत्तराखंड के खिरसु गांव के बारे में सुना था।
"राजवीर वही होगा," उसने खुद से कहा। "और इस समय मैं उसे मेरे सामने झुकने को मजबूर कर दूंगा, अन्यथा उसकी अमरता को ख़त्म करके गुरुजीका बदला पूरा करूंगा।
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उस दिन, आर्या हवेलीमें वापस लौट कर आयी हुई थी, उसके हाथ में कुछ दस्तावेज थे। जैसे ही उसने राजवीर को देखा, वह सीधे उसके पास आ गई।
"मैं फिर से बार बार पूछ रही हूं, तूम इतने रहस्यमयी क्यू रहते हो? और इस हवेली में इतने सारे संदिग्ध सबूत क्यों दिखते रहते हैं?"
राजवीर ने बिना कुछ कहे उसकी तरफ देखा। आर्या की आँखों में बहुत सारे सवाल थे, लेकिन साथ ही उसके चेहरे पर विश्वास भी दिख रहा था।
"कोनसे सबूत?" वह शांतिसे पूछ रहा था।
"रसोई में काच के गिलास में रखा हुआ लाल तरल पदार्थ , मृत जानवरों के अवशेष, और यह पुस्तक," उसने एक पुरानी किताब खोलते हुए कहा। "इस किताब में रक्त पिशाचो के बारे में जानकारी लिखी हुई है। यह सब पढके तुम्हे क्या मिलता है?"तुमने दिए हुए पुराने जवाब मुझे रास नहीं आ रहे है । "
कुछ समय तक राजवीर चुप रहा। आर्या के मन में उठने वाले सवाल वह जानता था। राजवीर को पता था कि अगर इस समय उसने गलत जवाब दिया तो, आर्या हमेशा के लिए उससे दूर हो जाएगी।
"आर्या! यह किताब तो लेखक की एक कल्पना है। ऐसी चीजें वास्तविक जीवन में नहीं होती, फिरभी लोगों को यह अच्छी लगती है, लोग खुद इस तरह रहने की कोशिश करते हैं, तुम्हे भी कभी किसी नाटक की नायिका की तरह व्यवहार करना अच्छा लगा होगा," उसने जवाब दिया। उसकी आवाज में बहुत शांति थी , लेकिन उसका दिल पूरी तरह से घबरा गया था।
आर्या अभी भी राजवीर को संदेह के साथ देख रही थी, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
"ठीक है, लेकिन तुम्हारा जवाब अभी भी मेरे लिए अधूरा है, तुम निश्चित रूप से हमसे कुछ छिपा रहे हो," उसने राजवीर से कहा।
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उस रात, त्रिकाल खिरसु के जंगल में पहुँच गया था। उसकी उपस्थिति के साथ, जंगल के जानवर परेशान हो गए थे, वह अजीबोगरीब आवाज दे कर जंगल में दूर दूर छिप रहे थे। त्रिकाल ने अब राजवीरकी खोज शुरू कर दी थी।
"राजवीर, अब तेरी अमरता को समाप्त करने का समय आ गया है," त्रिकाल खुद से ही बात कर रहा था।
जंगल में जानवरो की आवाज सुनकर, राजवीर ने महसूस किया कि उसे ढूंढने त्रिकाल गाव के नजदीक पहुंच चूका है। वह यह भी जानता था कि अब आर्या के साथ साथ पुरे गाँव को इसका खतरा था। राजवीर जहा रह रहा था उसके लगभग २५ किलोमीटर की दूरी के घेरे तक त्रिकाल पहुंच चुका था। राजवीर की हवेली उस घेरे के केंद्र में स्थित थी। आर्या और गाँववालो को बचाने की जिम्मेदारी अब उसपर आने वाली थी। अन्यथा उस गाँव का विनाश अटल था।
"मेरा राज खुलने से पहले मुझे इस गाँव को छोड़ना होगा," उसने फैसला किया। लेकिन आशय की गैरमौजूदगी में, यह करना मुश्किल था। वह अपनी अमरता के कारण इंसानो से अलग था, लेकिन सिर्फ आशयही उसे इस दुनिया से जोड़ कर रख रहा था।
इस बीच, आर्या फिर से राजवीर से मुलाकात करने आई। वह अभी भी राजवीरके अतीत के बारे में पूछ रही थी।
"तुम मेरे साथ कुछ तो छिपा रहे हो? मुझे लगता है कि तुम कोई खास व्यक्ति हो, लेकिन क्यों? तुम्हारे बारे में तुम मुझे सारी बाते क्यों नहीं बता सकते?"
राजवीर उसे देखकर मुस्कुराया, लेकिन उसकी आँखों में दर्द स्पष्ट दिख रहा था।
"कुछ बातें कहने से लोगों का जीना मुश्किल बना सकता है," उसने कहा।
"मैं ऐसी बातो से निपट सकती हूं, उसके बारे में चिंता मत करो," आर्या ने जवाब दिया।
राजवीर ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसे आर्या के शब्दों से एक तरह का समर्थन मिला। आर्या का आत्मविश्वास राजवीर के लिए एक नयी आशा पैदा कर रहा था।
आर्या और राजवीर का रिश्ता रहस्यमयी स्तर पर पहुंच रहा था, लेकिन साथ ही त्रिकाल का ख़तरा भी बढ़ता जा रहा था। राजवीर अब दुविधा में पड गया था, आर्या के साथ रहकर त्रिकाल से मुकाबला करना,या फिर आर्या को सुरक्षित रखने के लिए उसे हमेशा के लिए अपनेसे दूर कर देना। लेकिन त्रिकाल से लड़ते वक्त अगर आर्या भी सामने होगी तो उसे सब पता चल जायेगा की राजवीर असल में कौन है। त्रिकाल भी अब तक बहोत सारे पिशाचों को मारकर ताकतवर हो गया होगा, उससे लड़ना कोई छोटी उपलब्धि नहीं थी।
आशय की वापसी की प्रतीक्षा करते हुए, राजवीर ने मानसिक रूप से निर्णय ले लिया कि वह आर्या को त्रिकाल से बचाने के लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार है।लेकिन साथ ही वह यह भी जानता था कि यदि उसका भेद खुल गया तो आर्या उसे कभी माफ नहीं करने वाली थी।और वह सदमा एक बार फिर उसकी जिंदगी के अतीत में हुए विपदाओं की तरह शामिल हो जाएगा।
क्रमशः
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